कहते हैं बच्चों को जन्म देना आसान है लेकिन माता पिता बनना बहुत मुश्किल है। भारत में भगवान विष्णु को विश्व का पालनकर्ता माना जाता है यानि वे विश्व के अभिभावक हैं। तो क्यों न अभिभावक बनने के कुछ गुण उनसे ही सीखा जाय। यह बहुत आसान है भगवान विष्णु को देख कर ही ये ‘पेरेंटिंग टिप्स’ सीखा जा सकता है। उनके चार हाथों में चार चीजें होती हैं- शंख, चक्र, गदा और पद्म यानि कमल का फूल। आइए देखते हैं ये चार चीजें क्या संकेत करती हैं।
शंख
शंख संवाद का संकेत है। विवाह हो, पूजा हो या युद्ध- इसकी घोषणा या सूचना शंख बजा कर ही की जाती थी। हर माता पिता को अपने बच्चों के साथ संवाद यानि बातचीत करते रहना चाहिए भले ही आपका बच्चा छोटा शिशु हो, किशोरवय हो, या स्वयं माता-पिता बन चुके हों। व्यस्तता, क्रोध, निराशा आदि कोई भी स्थिति हो लेकिन सामान्य माहौल में सामान्य बातचीत होती रहने चाहिए ताकि माता-पिता और संतान दोनों एक दूसरे की भावनाओं, अपेक्षाओं और समस्याओं को समझ सकें। बिना बोले समझने की अपेक्षा न रखें।

चक्र
चक्र गति का प्रतीक होता है। यह यह आकार में गोल होता है अर्थात जिसका न आदि हो न अंत। अगर आप अपने बच्चों के दिल के करीब रहना चाहते हैं तो अपने तो परिस्थितियों के अनुरूप बदलना सीखें। आपके बच्चों की परिस्थितियों, उनकी चुनौतियाँ, उनकी भावनाएँ हो सकता है, आपसे अलग हो। आपका बच्चा भी तो शिशु, किशोर, युवा, प्रौढ़ आदि अवस्थाओं में परिवर्तन से गुजरेगा। हो सकता है वह चाह कर भी आपको समय नहीं दे पाता हो, आपकी अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाता हो। आप जीवन में परिवर्तन के नियति को समझें और अपने आपको उसके अनुरूप ढालें। बच्चों की देखभाल और उनका साथ जरूर दें, लेकिन उन्हें उनका स्पेस भी दें। बदलते समय के अनुसार अपनी बदलती भूमिका को दिल से स्वीकार करें और नई भूमिका के अनुरूप अपने को तैयार करें।
गदा
गदा दण्ड का प्रतीक है। बच्चों को प्रेम करें, देखभाल करें, अपनी हैसियत के अनुरूप उन्हें साधन उपलब्ध करवाएँ, पर उन्हें सही गलत में फर्क करना भी सिखाएँ, गलती के लिए उचित दण्ड देना भी जरूरी होता है। अगर आपका बच्चा जिद्दी हो, झूठ बोलने लगे, गलत संगत में पड़ जाय, तो ऐसी स्थितियों में संवाद, दण्ड और प्रोत्साहन- तीनों अपनाना जरूरी हो जाएगा।
पद्म
पद्म कहते हैं कमल के फूल को। कमल की विशेषता यह होती है कि यह विपरीत परिस्थितियों में यानि जल या कीचड़ में खिलता है लेकिन उसका कोई असर अपने सौन्दर्य और सुगंध पर नहीं पड़ने देता है। उसके पत्तों पर पानी या कीचड़ की बूंद टिक नहीं पाती है। भारतीय संस्कृति में कमल का बहुत महत्त्व है। लक्ष्मी और सरस्वती तो कमल के आसन पर ही विराजती हैं। ब्रह्मा कमल से ही उत्पन्न बताएं गए हैं। हमारे पौराणिक कथाओं में किसी के अच्छे कार्यों से खुश होकर उसे कमल के फूलों की माला देने के अनेक विवरण हैं। अर्थात कमल को प्रोत्साहन यानि रिवार्ड का प्रतीक माना जा सकता है।
गलत कार्यों के लिए दण्ड के साथ-साथ अच्छे कार्यों के लिए प्रोत्साहन देना भी जरूरी होता है। अच्छे कार्यों की तारीफ भी की जानी चाहिए। परिवार या समाज में जिस कार्य के लिए किसी की निंदा या तारीफ होती है, धीरे-धीरे हमारे अवचेतन मन में उस कार्य को अच्छा या बुरा मानने की बात बैठ जाती है। इसी को ‘सोशल कन्डीशनिंग’ कहते हैं। हर व्यक्ति तारीफ और सम्मान पाना चाहता है। उसे खुले हृदय से वह दिया जाना चाहिए अगर वह उसका हकदार है। इसे घर से छोटे-छोटे कार्यों या बातों से शुरू किया जाना चाहिए।
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