सौरभ हत्याकांड: कुछ पहलू  

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सौरभ हत्याकांड देश भर के लोगों को आंदोलित कर दिया है। इसे men v women, लव मैरेज v arrange मैरेज, परिवार v पैसा आदि कई दृष्टिकोण से देखा जा सकता है, और देखा भी जा रहा है। इस केस में मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित 2 चीजों ने किया। एक, लड़की के माँ बाप, दमाद को न्याय दिलाने के लिए बेटी के विरुद्ध लड़ रहे हैं। अपने बच्चे का मोह छोड़ कर सही का साथ देने वाले ऐसे माँ बाप सच में हमारे सम्मान के अधिकारी हैं। बच्चे को संस्कार देने मे भले ही वे विफल रहे, पर इंसान होने के अपने कर्तव्य को वे निभा रहे हैं। इससे मेन- वुमेन, लव मैरेज  – अरेंज मैरेज आदि का एंगल भी बेमानी हो जाता है।

जैसा कि कहा जा रहा है लाड़की ने प्रेम नही बल्कि नशे के लत के लिए पति को मारा।  किसी वृद्धाश्रम जाए, या ओब्जर्वेशं होम आदि (बच्चों का जेल), नशा एक मुख्य कारण/अवसर होता है अपराध का या फिर परिवार बिखरने के।

स्वतंत्रता सबको रास नही आती। कुछ लोग ऐसे भी यूज करते हैं स्वतंत्रता का। लड़की बहरी लोगों से ज्यादा मतलब नही रखती थी। माँ बाप ने हमेशा साथ और प्राइवेसी दी। इसका यूज उसने नशा और गलत संगति के लिए किया। साहिल से वह दुबारा सोशल मीडिया से मिली थी। काश उसकी आदतें पहले कोई समझ जाता तो शायद…. शायद… एक निर्दोष जान बच जाती।

एक और राहत कि बात है इस केस में धर्म और जाति का कोई एंगल नहीं है। हाँ बाद में खोज लिया जाय तो यह अलग बात है।